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Mahakumbh 2025: महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज, लाखों लोग संगम में लगेंगे पवित्र डुबकी

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर हर 12 साल में होने वाला महाकुंभ सोमवार, 13 जनवरी 2025 से शुरू हो गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा है, जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। इस महाकुंभ के पहले प्रमुख स्नान अनुष्ठान के साथ ही आस्था का यह भव्य आयोजन शुरु हो गया है। इस बार महाकुंभ के आयोजन को लेकर खास उम्मीदें हैं, और इसे लेकर देशभर के श्रद्धालु पूरी तरह से उत्साहित हैं।

महाकुंभ का महत्व और खगोलीय बदलाव

महाकुंभ 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है, लेकिन इस बार एक खास बात यह है कि खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं। इस खगोलीय बदलाव के कारण संतों का मानना है कि यह महाकुंभ अधिक शुभ और दिव्य होगा। उत्तर प्रदेश सरकार को विश्वास है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं, जो पहले के आयोजनों से कहीं अधिक संख्या है।

पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़

महाकुंभ की शुरुआत से दो दिन पहले, 11 जनवरी 2025 को करीब 25 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई, जो इस आयोजन की भव्यता और महत्व को दर्शाता है। अधिकारियों का कहना है कि यह महाकुंभ केवल आध्यात्मिकता और दिव्यता से भरपूर नहीं होगा, बल्कि इसमें आधुनिक तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया जाएगा। इसे ‘डिजी-कुंभ’ भी कहा जा रहा है, जिसमें एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रयागराज का दिव्य रूप और तैयारियां

प्रयागराज को इस महाकुंभ के लिए पूरी तरह से सजाया गया है। शहर के चौराहों और दीवारों पर धार्मिक चित्रकारी और आस्था से जुड़ी हुई तस्वीरों को लगाया गया है। साथ ही, शहर में विभिन्न धार्मिक प्रतीकों जैसे कलश, शंख और सूर्य नमस्कार की मुद्राओं से सजावट की गई है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई बैरिकेड्स लगाए गए हैं, जिससे पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। संगम क्षेत्र में 30 से अधिक पंटून पुल तैयार किए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की आवाजाही को आसान बनाएंगे।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज, लाखों लोग संगम में लगेंगे पवित्र डुबकी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृष्टि

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा करते हुए इसे भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता देने का अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह दुनिया भर के लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का भी एक बेहतरीन मौका है।

महाकुंभ का यह संस्करण एक भव्य, दिव्य और डिजिटल रूप से उन्नत आयोजन होगा। लगभग 10,000 एकड़ में होने वाले इस आयोजन में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल मानचित्र, शौचालयों की सफाई की निगरानी और एआई-संचालित सुरक्षा प्रबंधन व्यवस्था की जाएगी।

सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

महाकुंभ के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मेला क्षेत्र में 55 से अधिक थाने स्थापित किए गए हैं और करीब 45,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर निगरानी रखने और किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए विशेष परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला कुंभ मेला

महाकुंभ का यह संस्करण खास है क्योंकि यह जनवरी 2024 में अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आयोजित होने वाला पहला कुंभ मेला है। इस महाकुंभ में अखाड़ा क्षेत्र में विभिन्न अखाड़े और शिविर पूरी भव्यता से स्थापित किए गए हैं। इन शिविरों के प्रवेश द्वार विशेष डिजाइनों से सजाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं और उन्हें विशिष्ट संगठनों तक पहुंचने में मदद करते हैं।

संगम के प्रवेश द्वार और कुंभ की शोभा

प्रयागराज के संगम क्षेत्र में विभिन्न डिजाइन वाले प्रवेश द्वार लगाए गए हैं, जो कुंभ मेला की शोभा बढ़ा रहे हैं। इनमें हवाई जहाज के मॉडल, शिवलिंग और मुकुट जैसी आकृतियों के प्रवेश द्वार शामिल हैं। इन द्वारों को न केवल धार्मिक रूप से आकर्षक बनाया गया है, बल्कि ये तीर्थयात्रियों को मार्गदर्शन देने का भी कार्य कर रहे हैं।

आस्था और आधुनिकता का संगम

महाकुंभ में आस्था और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु जहां प्राचीन आस्था के साथ अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभा रहे हैं, वहीं वे आधुनिक तकनीकी सुविधाओं का भी उपयोग कर रहे हैं। वीआईपी घाट और संगम पर स्नान करते हुए श्रद्धालु इन क्षणों को कैमरे में कैद कर रहे हैं, जो प्राचीन आस्था और आधुनिक कनेक्टिविटी के मिलाजुला रूप को दर्शाता है।

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और आधुनिकता का मिलाजुला रूप प्रस्तुत करता है। लाखों श्रद्धालु इस महाकुंभ में भाग लेने के लिए उमड़ रहे हैं, और इस अवसर पर प्रयागराज पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अभूतपूर्व और अनमोल अवसर है।

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